आसमा से उपर....एक उड़ान की ख़्वाहिश है..!!जहाँ हो हर क़दम सितारो पर....उस ज़मीन की ख़्वाहिश है..!!जहाँ पहचान हो लहू की हर एक बूँद की....उस नाम की ख़्वाहिश है..!!जहाँ खुदा भी आके मुझसे पूछे....."बता, क्या लिखू तेरे मुक्क़दर मे....?"उस मुकाम की ख़्वाहिश है..!!झिलमिल सी एक लड़कीहवा के संग - संग लहराती सीकुछ - कुछ नाराज़ ज़िंदगी सेऔर कुछ - कुछ ज़िंदगी पे मुस्कुराती सी !किनारे की लहरों सी उठती बिखरतीनाव के जैसे डगमगाती सीअंधेरे में पानी के किनारे कहींजुग्नो - ओं के संग जगमगाती सी !ख्यालों में खोकर लतों को अपनीकभी सुलझती कभी उलझती सीनजाकत से जुल्फों को झटक फ़िर अपनीधीमे से पलकें झुकाती सी !चंचल सी नज़रें हस पडें जब अचानकउस हसी को हया से फ़िर छुपाती सीजो नाराज़ हो तो आँखें फैलाकरगुस्से से मुहँ फुलाती सी !कभी लफ्ज़ के सहारे छु लेती दिल कोकभी नज़रों से ही दास्तानें सुनती सीकभी मुश्किलों से न डरने वालीअंधेरे में मासूमियत से घबराती सी !झिलमिल सी वो एक लड़कीपरदे के पीछे शर्माती सीएक पल को नज़र मिलाके मुझसेनज़र के साथ दिल भी चुराती थी
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